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लेखनी प्रतियोगिता -24-Sep-2022अनपढ़ नालायक बेटा

शीर्षक:-  अनपढ़ नालायक बेटा

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       आज अचानक श्याम नारायण की पत्नी की तबियत बहुत खराब होगयी। जब वह उसको हास्पीटल लूकर गये तब डाक्टर ने कुछ टैस्ट लिख दिये और उनको अस्पताल में भर्ती कर लिया।

      जब टेस्टौ की रिपोर्ट आई तब श्याम नारखयण के पैरौ के नीचे की जमीध खिसक गयी। क्यौकि डाक्टर ने बताया कि इनकी बच्चादानी निकालनी होगी उसके लिए आपको दो लाख रुपयौ का इन्तजाम  करना होगा एवं खून की भी जरूरत होगी कोई खून देने वाला भी होना चाहिए।

      श्याम नारायण के तीन बेटे थे। बडा। बेटा विदेश मे किसी कम्पनी में काम करता था उससे छोटा बंगलौर में इन्जीनियर था।  बसे छोटख बेटा पढ़ नही सका। श्याम नारायण ने उसे पढा़ने की बहुत कोशिश की थी परन्तु वह पढ़ नहीं सका। श्याम नारायण ने उसको नालखयक अनपढ गवार और न जाने क्या क्या नाम दे दिये।

    श्याम नारायण ने अपनी जमीन व सम्पत्ति का बटवारा कर दिया। और गाँव के मकान का बटवारा कर दिया। वह  अपने बडे़ बेटौ का सब हिस्सा बेचकर शहर में रहने लगे। 

    छोटा बेटा रामू गाँव मे ही रहता था । श्याम नारायण ने अपने बडे़ बेटौ की शादी बहुत धूम धाम से की थी। परन्तु छोटे बेटे रामू की शादी भी गरीब घर की बिना पढी़ लड़की से की थी।

     रामू व उसकी पत्नी ने श्याम नारायण व अपनी माँ को अपने पास रखने की बहुत कोशिश की थी परन्तु वह उस नालायक के पास रहना पसन्द नही करते थे। वह हमेशा अपने दोनौ बेटौ की ही बढा़ई खरते थे रामू को हमेशा नालायक कहते थे।

    रामू गाँव मे ही रहकर जमीन जोतकर अपना गुजारा करता था । उसकी पत्नी भी उसका साथ देती थी। रामू अपने माता पिता की कुशलता की खबर  शहर आने जाने वालौ से लेता रहता था।

      जब श्याम नारायण की पत्नी की तबियत खराब हुई तब उन्हौने सबसे फहले बडे़ बेटे को फोन  किया कि बेटा तेरी माँ की तबियत बहुत खराब है। उसका आपरेशन होना है जिसके लिए दो लाख रुपये व खून चाहिए।

      इस पर बडे़ बेटे का जबाब आया कि पापा जी अभी मेरे पास पैसे नही हैं क्यौकि अभी बेटे का एडमीशन करबाया था तब बहुत खर्चा होगया था। अभी आप इन्तजाम करलो फिर मैं भिजवादूँगा।

      जब उन्होने मँझले बेटे को फौन किया तब उसका जबाब आया कि अभी  मैने एक फ्लैट लिया है आप किसी से उधार लेलो बाद में मै दे दूँगा।

     श्याम नारायण बहुत निराश होगये रामू को तो फौन करते ही नही थे वह जानते थे कि वह तो नालायक है उसके पास इतनी रकम कहाँ होगी। और वह चुप चाप बैठ गये अब उनके पास कोई जमीन मकान भी नही था जिसे बेचकर इन्तजाम कर लेते।

        जब गाँव में शहर से रामू के पडौ़सी रमेश बाबू आये तब उन्हौने रामू को सब बताया क्यौकि वह श्याम नारायण से अस्पताल में मिल कर आये थे।

     जब रामू व उसकी पत्नी को उनकी बीमारी का पता चला वह तुरन्त अपनी जमीन गिरवी रखकर  दोलाख  रुपये लेकर  दोनौ पति पत्नी अस्पताल पहुँचगये और  दो लाख रुपये देकर बोला," पापा आपने अपने नालायक गवार बेटे को इस लायक भी नहीं समझा।"

     श्याम नारायण को वह रुपये लेते हुए भी शर्म आरही थी। उनको क्या पता था कि यह नालायक ही उनके काम आयेगा। लह शर्म के कारण यह भी नही पूछ सके कि तूने इतने पैसौ का इन्तजाम कहाँ से किया।

     रामू ने ही अपनी माँ के लिए खून दिया जब वह ठीक होगयी तब शहर छोड़कर  गाँव में रामू के पास पहुँचे तब मालूम हुआ कि रामू ने अपनी जमीन गिरवी रखदी है। और अब मजदूरी करके गुजारा करता है।

      जब दोनौ बडे बेटे उनसे मिलने गाँव पहुँचे तब श्याम नारायण ने उनसे मिलने से इन्कार कर दिया। और बोले ," तुम दोनौ से तो यह गवाँर व नालायक ही अच्छा है तुम दोनौ तो पढ़कर भी नालायक निकले।  मुझे ऐसा मालूम होता तो मै तुम दोनौ को भी अनपढ़ ही रखता।"

             अब दोनौ बेटे छमा माँगने लगे और उन दोनौ ने रामू को गले लगा लिया । अब वह नालायक गवाँर सबका दुलारा होगया।

 आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना। 
 नरेश शर्मा  "पचौरी"
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7 Comments

Chetna swrnkar

25-Sep-2022 10:52 AM

लाजवाब 👌

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shweta soni

25-Sep-2022 08:14 AM

बेहतरीन रचना

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